भैया धीरे धीरे चोदो मुझे क्योंकि दर्द होता है

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भैया धीरे धीरे चोदो मुझे क्योंकि दर्द होता है
Bhai dhire dhire chodo mujhe dard hota hai

मैं राकेश पाठक उम्र १९ साल, ग़ज़िआबाद में रहता हु, मैं चुदक्कड़ किस्म का लड़का हु, जहा पे भी कोई माल देखा लगता है चोद दू, ये आदत मेरे लिए अच्छा नहीं है क्यों की इसी आदत के चलते मैंने अपने बहन को भी नहीं छोड़ा क्यों की जब भी मैं किसी की चूच देखता हु जी करता है मसल दू, और मैंने किया भी, कई बार तो मैं अपने माँ की भी चूची को मसल दिया,

मैं आपको एक वाकया सुनाता हु, मैंने अपने छोटी बहन को ही पेल दिया, एक दिन की बात है, मेरी माँ को चेचक हो गया था, और मेरी बहन को एक आदत है वो आजतक अकेली नहीं सोई उसे बहुत डर लगता है, मेरे पिताजी का देहांत हो चुका है माँ ग़ज़िआबाद के एक स्कूल में टीचर है. तो उस दिन माँ ने कहा राकेश आज रीता मेरे साथ नहीं सोएगी क्यों की मुझे चेचक हो गया है, ये छुआछूत की बीमारी है, इसलिए तुम अपने साथ रीता को सुला लेना.

रात को खाना खाकर रीता मेरे कमरे ही ही आ गयी, पर माँ को पता था की मेरी नियत हमेशा ठीक नहीं रहती इस वजह से माँ ने कहा आज तुम दोनों ड्राइंग रूम में ही सो जाओ, माँ के कमरे से ड्राइंग रूम पूरा दिखता है, तो माँ ने सही सोचा की आज मेरी बेटी चुद ना जाये, उस टाइम तक मेरे दिमाग में अपने बहन के बारे में कोई ख्याल नहीं आ रहा था, रीता ने बाहर बेड लगाई आर दोनों सो गए, जैसे रीता का गांड मेरे हाथ में सटा मैं तो बैचेन हो गया, मुझे लगा इससे बढ़िया मौक़ा नहीं आने बाला, तो मैंने रीता धीरे धीरे छूना सुरु कर दिया, वो भी थोड़ा थोड़ा मज़ा लेने लगी,

मैंने कहा रीता आजकल जमाना है बोल्ड होने का, कल मैंने तुम्हारे लिए मॉल से नयी नयी ड्रेस लाऊंगा या तो तू मेरे साथ चलना तुम्हारे पसंद की खरीद दूंगा, तो रीता बोली थैंक्स भैया आप कितने अच्छे हो, और मेरे तरफ वो घूम गयी मैंने भी उसे थोड़ा अपने करीब दबा लिये उसकी चूची मेरे सीने पे दब रहा था, मैंने माँ के कमरे में देखा माँ सो चुकी थी क्यों की डॉक्टर ने जो दबी दिया था उसमे नशा का भी था ताकि नींद आ जाये, ये बात मुझे रीता ने बताया.

मैं तो ये सुनकर खुश हो गया, मैंने कहा बहन तुझे कभी किसी चीज़ की जरूरत हो तो बता दिया करो, मेरे पास बहुत पैसे होते है, कॉल सेंटर में बहुत सैलरी मिलता है, इस तरह से मैंने अपने बहन को पटा रहा था, तभी वो मेरे सर पे चुम्मा ले ली, बोली आप बहुत अच्छे हो, मैंने भी एक चुम्मा सर पे, फिर नाक पे, फिर गाल पे, फिर मैंने होठ पे अपना होठ रख दिया, उसकी साँसे तेज चलने लगी, वो बोली भैया ये अच्छी बात नहीं है, ये गलत हो रहा है,

मैंने कहा ये कुछ भी गलत नहीं है पगली, तुम चिंता ना करो, और मैंने उसको और भी करीब खीच लिया, अब उसकी दोनों चूचियाँ मेरे सीने में चिपक रही थी मैंने उसके चूतड़ को दबाया और लंड को उसके बूर के पास ले गया, वो टाइट काप्री पहनी थी, गोल गोल चूतड़ साफ़ महसूस हो रहा था,

रीता बोली “भैया आप ये बात किसी को भी नहीं बताना” मैंने कहा नहीं पगली मैं क्यों बताऊंगा, तो वो बोली ठीक है, मेरा भी मन अब करता है, किसी लड़के को किश करने को पर अछा हुआ की आप से ही कर लेती ही, पता नहीं बाहर किस तरह के लड़के होते होंगे, आप तो अच्छे हो और वो मुझे किश करने लगी, मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल के उसके दोनों बड़े बड़े चूचियों को दबाने लगा, वो बोलने लगी भैया जोर से मत दबाओ दर्द होता है, मैंने किश किया और बोला नहीं मेरी बहन तुम्हरे जो अच्छा लगेगा वही मैं करूंगा,

फिर मैंने उसके टॉप को उतार दिया वो ब्रा में थी कमरे में हलकी रौशनी का एक लाइट जल रहा था जिससे उसका खूसूरत बदन दिख रहा था, मैंने उसके ब्रा को उतार दिया और फिर काप्री और पेंटी, वो बिलकुल नंगी थी, फिर मैं भी नंगा हो गया अब हम दोनों एक बेडशीट के अंदर थे, मैंने अपना मोबाइल का टॉर्च जलाया और बूर को देखा, पिंक कलर दिख रहा था, बूर में ज्यादा बाल नहीं थे, बूर में एक छोटा सा छेद था, वो वर्जिन थी,
उसमे मुस्किल से मेरी एक भी ऊँगली नहीं जा सकती थी, मैंने ज्यों ही ऊँगली डाली वो इस्स्स्स इस्स्स्स करने लगी मैंने उठा और कमरे के अंदर जाके वेसिलीन लेके आया और उसके बूर पे लगा दिया और फिर मैंने अपने लंड के ऊपर से लगा दिया beti ki chudai ki kahani
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ के टांग को फैला दिया और उसके बूर के ऊपर अपना लंड रख के घुसाने लगा, पर वो घुसाने नहीं दे रही थी कह रही थी दर्द हो रहा है और अपना चूतड़ खीच लेती थी, मैं समझने की कोशिश की पहली बार दर्द होगा फिर दर्द नहीं होगा पर वो नहीं मान रही थी, फिर मैं उसके चूच को पिने लगा, होठ चूसने लगा धीरे धीरे चूच को दबाने लगा, तब वो धीरे धीरे कामुक होने लगी उसकी सांस में गर्मी आ गयी थी, वो फिर मुझे भी सहलाने लगी, फिर वो बोली भैया धीरे धीरे डालो, मैंने रीता के ऊपर चढ़ गया.
अपना लंड उसके बूर पे रखा और एक झटका दिया मेरा ३ इंच लंड उसके बूर में चला गया, मैं उसे टाइट पकड़ रखा था, वो इस झटके को सह ली पर उसके आँख में पानी आ गया था, फिर मैंने दुसरा झटका मारा और मेरा लंड सटाक से अंदर, वो आउच कर के मुझे कास के पकड़ ली, मैं थोड़ा शांत हुआ फिर धीरे धीरे चोदने लगा, वो भी हलके हलके मज़ा लेने लगी, पर वो कह रही थी भैया धीरे धीरे दर्द होता है, मैंने भी धीरे धीरे ही अपने बहन को रात में करीब ५ बार चोदा.
अब तो मैं रोज जब माँ स्कूल चली जाती है अलग अलग स्टाइल में चोदता हु, अब वो धीरे धीरे नहीं कहती है अब वो कहती है, चोद साले, चोद अपनी बहन को, धीरे धीरे क्या करता है जोर जोर से कर ना, चूच दबा चूच कौन दबायेगा साले, चूस मेरे चूच को, क्या कर रहा है तेरी ऊँगली कहा है गांड में डाल ना गांडू, तू साले चोद भी नहीं सकता है ठीक से, चल ठीक से धक्का लगा. अब मैं विआग्रा उसे करने लगा हु, अब तो कहती है, फाड़ दिया रे, मर जाउंगी, धीरे धीरे, कस के मत दबा, इतना जोर से नहीं रे,